कभी तो मन भरता है उडान बड़ी बड़ी,
कभी ये सहम जाता है सुन लोगों की कही,
ये मन है या है रंग बदलती एक कड़ी,
या है किसी रंगमंच की कलाकारी से भरी,
सुखों की पवन आये तो फुहार ये बने,
जो गम छु भी जाये तो मोम सा पिघल पड़े,
मिले जो साथ अपनों का तो आंधियों में डटे,
वरना तो चकना चूर होके रेत सा बहे,
हे प्रभु ये तेरी कैसी कारीगरी है,
मिटटी के एक ढांचे में रंगों की फुलझड़ी है,
इस लिए उसे भगवान कहते है अच्छी सोंच ......
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